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"क्रूरता (कविता) / कुमार अंबुज" के अवतरणों में अंतर
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− | तब आएगी क्रूरता | + | <poem> |
− | पहले ह्रदय में आएगी और चेहरे पर न दिखेगी | + | तब आएगी क्रूरता |
− | फिर घटित होगी धर्मग्रंथो की ब्याख्या में | + | पहले ह्रदय में आएगी और चेहरे पर न दिखेगी |
− | फिर इतिहास में और | + | फिर घटित होगी धर्मग्रंथो की ब्याख्या में |
− | भविष्यवाणियों में | + | फिर इतिहास में और |
− | फिर वह जनता का आदर्श हो जाएगी | + | भविष्यवाणियों में |
− | ....वह संस्कृति की तरह आएगी, | + | फिर वह जनता का आदर्श हो जाएगी |
− | उसका कोई विरोधी नहीं होगा | + | ....वह संस्कृति की तरह आएगी, |
− | कोशिश सिर्फ यह होगी | + | उसका कोई विरोधी नहीं होगा |
− | किस तरह वह अधिक सभ्य | + | कोशिश सिर्फ यह होगी |
− | और अधिक ऐतिहासिक हो | + | किस तरह वह अधिक सभ्य |
− | ...यही ज्यादा संभव है कि वह आए | + | और अधिक ऐतिहासिक हो |
+ | ...यही ज्यादा संभव है कि वह आए | ||
और लंबे समय तक हमें पता ही न चले उसका आना | और लंबे समय तक हमें पता ही न चले उसका आना | ||
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11:43, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण
तब आएगी क्रूरता
पहले ह्रदय में आएगी और चेहरे पर न दिखेगी
फिर घटित होगी धर्मग्रंथो की ब्याख्या में
फिर इतिहास में और
भविष्यवाणियों में
फिर वह जनता का आदर्श हो जाएगी
....वह संस्कृति की तरह आएगी,
उसका कोई विरोधी नहीं होगा
कोशिश सिर्फ यह होगी
किस तरह वह अधिक सभ्य
और अधिक ऐतिहासिक हो
...यही ज्यादा संभव है कि वह आए
और लंबे समय तक हमें पता ही न चले उसका आना