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"जागरण / अंतराल / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

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आज जीवन में सफलता की मुझे आहट मिली है !
 
आज जीवन में सफलता की मुझे आहट मिली है !
 
 
::आज तो आराधना का
 
::आज तो आराधना का
 
::इस हृदय की साधना का
 
::इस हृदय की साधना का
 
::फल मिलेगा, बल मिलेगा,
 
::फल मिलेगा, बल मिलेगा,
 
आज तो पतझार में अगणित नयी कलियाँ खिली हैं !
 
आज तो पतझार में अगणित नयी कलियाँ खिली हैं !
 
 
::उठ रही हैं मुक्त लहरें,
 
::उठ रही हैं मुक्त लहरें,
 
::भाव रोदन के न ठहरें,
 
::भाव रोदन के न ठहरें,
 
::पास यह गन्तव्य आया
 
::पास यह गन्तव्य आया
 
हार का बंदी नहीं, जीत मुझसे आ हिली है !
 
हार का बंदी नहीं, जीत मुझसे आ हिली है !
 
 
::मिट चुकी है रात काली,
 
::मिट चुकी है रात काली,
 
::छा रही है आज लाली,
 
::छा रही है आज लाली,
 
::हो रहा कलरव मनोहर
 
::हो रहा कलरव मनोहर
 
जागरण-बेला यही है, प्राण ने पहचान ली है !
 
जागरण-बेला यही है, प्राण ने पहचान ली है !
1947
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'''रचनाकाल: 1947
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14:57, 29 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

आज जीवन में सफलता की मुझे आहट मिली है !
आज तो आराधना का
इस हृदय की साधना का
फल मिलेगा, बल मिलेगा,
आज तो पतझार में अगणित नयी कलियाँ खिली हैं !
उठ रही हैं मुक्त लहरें,
भाव रोदन के न ठहरें,
पास यह गन्तव्य आया
हार का बंदी नहीं, जीत मुझसे आ हिली है !
मिट चुकी है रात काली,
छा रही है आज लाली,
हो रहा कलरव मनोहर
जागरण-बेला यही है, प्राण ने पहचान ली है !

रचनाकाल: 1947