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"एक गहरा दर्द / अश्वघोष" के अवतरणों में अंतर
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आदमी का दम निकलता जा रहा है | आदमी का दम निकलता जा रहा है | ||
− | आ रही है क्रांतियाँ | + | आ रही है क्रांतियाँ बुल्ड़ोज़रों से |
देश का नक्शा बदलता जा रहा है | देश का नक्शा बदलता जा रहा है | ||
− | हाथ उनके | + | हाथ उनके ख़ून में भीगे हुए हैं |
− | + | फ़र्ज़ वहशत में बदलता जा रहा है | |
ग्रीष्म में भी चल रही ठंडी हवाएँ | ग्रीष्म में भी चल रही ठंडी हवाएँ | ||
− | चेतना का | + | चेतना का जिस्म गलता जा रहा है |
ऐ मेरे हमराज़, बढ़कर रोक ले | ऐ मेरे हमराज़, बढ़कर रोक ले | ||
रोशनी को तम निगलता जा रहा है | रोशनी को तम निगलता जा रहा है | ||
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22:56, 3 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
एक गहरा दर्द छलता जा रहा है
आदमी का दम निकलता जा रहा है
आ रही है क्रांतियाँ बुल्ड़ोज़रों से
देश का नक्शा बदलता जा रहा है
हाथ उनके ख़ून में भीगे हुए हैं
फ़र्ज़ वहशत में बदलता जा रहा है
ग्रीष्म में भी चल रही ठंडी हवाएँ
चेतना का जिस्म गलता जा रहा है
ऐ मेरे हमराज़, बढ़कर रोक ले
रोशनी को तम निगलता जा रहा है