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<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
 
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: अय तिरंगे शान तेरी<br>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: बलि-बलि जाऊँ<br>
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[जगदीश तपिश]]</td>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[श्रीधर पाठक]]</td>
 
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अय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम
+
1.
तू हमारा दिल जिगर है तू हमारी जान है
+
 
तू भरत है तू ही भारत तू ही हिन्दुस्तान है
+
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ
अय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम
+
बलि-बलि जाऊँ हियरा लगाऊँ
तू हमारी आत्मा है तू हमारी जान है
+
हरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँ
+
मेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा का
तेरी खुशबू से महकती देश की माटी हवा
+
मन का, मँदिरवा का प्यारा बसैया
हर लहर गंगा की तेरे गीत गाती है सदा
+
मैं बलि-बलि जाऊँ
तू हिमालय के शिखर पर कर रहा अठखेलियां
+
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ
तेरी छांव में थिरकती प्यार की सौ बोलियां
+
 
तू हमारा धर्म है मजहब है तू ईमान है
+
2.
+
 
जागरण है रंग केसरिया तेरे अध्यात्म का  
+
भोली-भोली बतियाँ, साँवली सुरतिया
चक्र सीने पर है तेरे स्फुरित विश्वास का  
+
काली-काली ज़ुल्फ़ोंवाली मोहनी मुरतिया
भारती की आंख का तारा बना है रंग हरा
+
मेरे नगरवा का, मेरे डगरवा का
तू दीवाली तू ही होली और तू ही दशहरा 
+
मेरे अँगनवा का, क्वारा कन्हैया
आस्था है तू जवानों की वतन की आन है
+
मैं बलि-बलि जाऊँ
+
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ
तू शहीदों की शहादत से लिपटकर जब चला
+
भारती के लाल की तुरबत से उठ के जब चला
+
आंख भर आई करोडों सर झुके सम्मान में
+
देखते हैं हम तुझे हर वीर के मन प्राण में
+
देश का बचपन जवानी तुझ पे सब कुर्बान है
+
 
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20:56, 31 जनवरी 2010 का अवतरण

Lotus-48x48.png  सप्ताह की कविता   शीर्षक: बलि-बलि जाऊँ
  रचनाकार: श्रीधर पाठक
1.

भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ
बलि-बलि जाऊँ हियरा लगाऊँ
हरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँ
मेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा का
मन का, मँदिरवा का प्यारा बसैया
मैं बलि-बलि जाऊँ
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ 

2.

भोली-भोली बतियाँ, साँवली सुरतिया
काली-काली ज़ुल्फ़ोंवाली मोहनी मुरतिया
मेरे नगरवा का, मेरे डगरवा का
मेरे अँगनवा का, क्वारा कन्हैया
मैं बलि-बलि जाऊँ
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ