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मेरे मत में तो विपदाएँ, हैं प्राकृतिक परीक्षाएँ,
:उनसे वही डरें, कच्ची हों, जिनकी शिक्षा-दीक्षाएँ॥
 
कहा राम ने कि "यह सत्य है, सुख-दुख सब है समयाधीन,
:सुख में कभी न गर्वित होवे, और न दुख में होवे दीन।
जब तक संकट आप न आवें, तब तक उनसे डर माने,
:जब वे आजावें तब उनसे, डटकर शूर समर ठाने॥
 
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