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"वसंत गीत / गोपाल सिंह नेपाली" के अवतरणों में अंतर
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− | ओ मृगनैनी , ओ पिक बैनी , | + | ओ मृगनैनी, ओ पिक बैनी, |
− | तेरे सामने बाँसुरिया झूठी है ! | + | तेरे सामने बाँसुरिया झूठी है! |
रग-रग में इतना रंग भरा, | रग-रग में इतना रंग भरा, | ||
− | कि रंगीन चुनरिया झूठी है ! | + | कि रंगीन चुनरिया झूठी है! |
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मुख भी तेरा इतना गोरा, | मुख भी तेरा इतना गोरा, | ||
− | बिना चाँद का है पूनम ! | + | बिना चाँद का है पूनम! |
− | है दरस-परस इतना शीतल , | + | है दरस-परस इतना शीतल, |
− | शरीर नहीं है शबनम ! | + | शरीर नहीं है शबनम! |
अलकें-पलकें इतनी काली, | अलकें-पलकें इतनी काली, | ||
− | घनश्याम बदरिया झूठी है ! | + | घनश्याम बदरिया झूठी है! |
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रग-रग में इतना रंग भरा, | रग-रग में इतना रंग भरा, | ||
− | कि रंगीन चुनरिया झूठी | + | कि रंगीन चुनरिया झूठी ह ! |
− | क्या होड़ करें चन्दा तेरी , | + | क्या होड़ करें चन्दा तेरी, |
− | काली सूरत धब्बे वाली ! | + | काली सूरत धब्बे वाली! |
कहने को जग को भला-बुरा, | कहने को जग को भला-बुरा, | ||
− | तू | + | तू हँसती और लजाती! |
मौसम सच्चा तू सच्ची है, | मौसम सच्चा तू सच्ची है, | ||
− | यह सकल बदरिया झूठी है ! | + | यह सकल बदरिया झूठी है! |
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रग-रग में इतना रंग भरा, | रग-रग में इतना रंग भरा, | ||
− | कि रंगीन चुनरिया झूठी है ! | + | कि रंगीन चुनरिया झूठी है! |
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21:25, 6 फ़रवरी 2010 का अवतरण
ओ मृगनैनी, ओ पिक बैनी,
तेरे सामने बाँसुरिया झूठी है!
रग-रग में इतना रंग भरा,
कि रंगीन चुनरिया झूठी है!
मुख भी तेरा इतना गोरा,
बिना चाँद का है पूनम!
है दरस-परस इतना शीतल,
शरीर नहीं है शबनम!
अलकें-पलकें इतनी काली,
घनश्याम बदरिया झूठी है!
रग-रग में इतना रंग भरा,
कि रंगीन चुनरिया झूठी ह !
क्या होड़ करें चन्दा तेरी,
काली सूरत धब्बे वाली!
कहने को जग को भला-बुरा,
तू हँसती और लजाती!
मौसम सच्चा तू सच्ची है,
यह सकल बदरिया झूठी है!
रग-रग में इतना रंग भरा,
कि रंगीन चुनरिया झूठी है!