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नासमझ यह मोहन ठकुरी / मोहन ठकुरी
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15:42, 6 फ़रवरी 2010
किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !
'''
इस कविता का
मूल नेपाली भाषा से
अनुवाद
:
स्वयं कवि
ने किया है।
द्वारा
<Poem>
अनिल जनविजय
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