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"नींद में भी / सनन्त तांती" के अवतरणों में अंतर

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नींद में भी कभी बारिश होती है।
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भिगो देती है मेरी हृदय की माटी कभी उर्वर सीने में
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उगते हैं सपनों के उद्भिद।
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बारिश उनके लिए यत्न करती है
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लहू से भर देती रक्त कर्णिका की नदियों को।
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नींद में भी कभी गुलाब खिलते हैं आँखों में।
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प्रेम रहता है मेरे जागरण तक।
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22:16, 28 फ़रवरी 2010 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: सनन्त तांती  » संग्रह: नींद में भी कभी बारिश होती है
»  नींद में भी

नींद में भी कभी बारिश होती है।
भिगो देती है मेरी हृदय की माटी कभी उर्वर सीने में
उगते हैं सपनों के उद्भिद।
बारिश उनके लिए यत्न करती है
लहू से भर देती रक्त कर्णिका की नदियों को।

नींद में भी कभी गुलाब खिलते हैं आँखों में।
प्रेम रहता है मेरे जागरण तक।