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"राजा की आएगी बारात / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग<br />
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एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग<br />
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|रचनाकार=शैलेन्द्र
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राजा की आएगी बारात, रंगीली होगी रात
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मगन मैं नाचूंगी, हो मगन मैं नाचूंगी
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राजा की आएगी बारात ...
  
याद रहता है किसे गुज़रे ज़माने का चलन<br />
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राजा के माथे तिलक लगेगा, रानी की माँग सिन्दूर
सर्द पड़ जाती है चाहत हार जाती है लगन<br />
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मैं भी अपने मन की आशा, पूरी करूंगी ज़रूर
अब मोहब्बत भी है क्या इक तिजारत के सिवा<br />
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मेंहदी से पीले होंगे हाथ, सहेलियों के साथ
हम ही नादां थे जो ओढ़ा बीती यादों का क़फ़न<br />
+
मगन मैं नाचूंगी, हो मगन मैं नाचूंगी
वरना जीने के लिए सब कुछ भुला देते हैं लोग<br />
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राजा की आएगी बारात ...
  
जाने वो क्या लोग थे जिनको वफ़ा का पास था<br />
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रानी के संग राजा डोले सजाके, चले जाएंगे परदेस
दूसरे के दिल पे क्या गुज़रेगी ये एहसास था<br />
+
जब जब उनकी याद आएगी, दिल पे लगेगी ठेस
अब हैं पत्थर के सनम जिनको एहसास ना हो<br />
+
नैनों से होगी बरसात, अन्धेरी होगी रात
वो ज़माना अब कहाँ जो अहल-ए-दिल को रास था<br />
+
मगन मैं नाचूंगी, हो मगन मैं नाचूंगी
अब तो मतलब के लिए नाम-ए-वफ़ा लेते हैं लोग
+
राजा की आएगी बारात ...
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</poem>

11:03, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

राजा की आएगी बारात, रंगीली होगी रात
मगन मैं नाचूंगी, हो मगन मैं नाचूंगी
राजा की आएगी बारात ...

राजा के माथे तिलक लगेगा, रानी की माँग सिन्दूर
मैं भी अपने मन की आशा, पूरी करूंगी ज़रूर
मेंहदी से पीले होंगे हाथ, सहेलियों के साथ
मगन मैं नाचूंगी, हो मगन मैं नाचूंगी
राजा की आएगी बारात ...

रानी के संग राजा डोले सजाके, चले जाएंगे परदेस
जब जब उनकी याद आएगी, दिल पे लगेगी ठेस
नैनों से होगी बरसात, अन्धेरी होगी रात
मगन मैं नाचूंगी, हो मगन मैं नाचूंगी
राजा की आएगी बारात ...