भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इब्ने इंशा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
* [[ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली / इब्ने इंशा]] | * [[ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली / इब्ने इंशा]] | ||
* [[इंशाजी उठो अब कूच करो / इब्ने इंशा]] | * [[इंशाजी उठो अब कूच करो / इब्ने इंशा]] | ||
+ | * [[ये बातें झूठी बातें हैं / इब्ने इंशा]] |
00:41, 13 नवम्बर 2008 का अवतरण
इब्ने इंशा
जन्म | 1927 |
---|---|
निधन | 1978 |
उपनाम | इंशा |
जन्म स्थान | फ़िल्लौर, जिला जालंधर, पंजाब |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
इस बस्ती के एक कूचे में, चाँद नगर, दुनिया गोल है, उर्दू की आख़िरी किताब | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
इब्ने इंशा / परिचय |
- उस शाम वो रुख़सत का समा / इब्ने इंशा
- एक लड़का / इब्ने इंशा
- रेख़्ता / इब्ने इंशा
- कबित्त (कवित्त) / इब्ने इंशा
- फ़र्ज़ करो / इब्ने इंशा
- इक बार कहो तुम मेरी हो / इब्ने इंशा
- लोग पूछेंगे / इब्ने इंशा
- साए से / इब्ने इंशा
- इंतज़ार की रात / इब्ने इंशा
- सावन-भादों साठ ही दिन हैं / इब्ने इंशा
- हम उनसे अगर मिल बैठते हैं / इब्ने इंशा
- कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा / इब्ने इंशा
- देख हमारे माथे पर / इब्ने इंशा
- अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले / इब्ने इंशा
- और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का / इब्ने इंशा
- उस शाम वो रुख्सत का समां याद रहेगा / इब्ने इंशा
- रात के ख्वाब सुनाएं किस को रात के ख्वाब सुहाने थे / इब्ने इंशा
- जोग बिजोग की बातें झूठी सब जी का बहलाना हो / इब्ने इंशा
- कमर बांधे हुए चलने पे यां सब यार बैठे हैं / इब्ने इंशा
- ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली / इब्ने इंशा
- इंशाजी उठो अब कूच करो / इब्ने इंशा
- ये बातें झूठी बातें हैं / इब्ने इंशा