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कबीर दोहावली / पृष्ठ १

No change in size, 02:32, 16 अप्रैल 2010
जो सुख मे सुमरिन करे, दुख काहे को होय ॥ 1 ॥ <BR/><BR/>
तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँव तले पाँयन तर होय । <BR/>
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥ 2 ॥ <BR/><BR/>