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"नागरिक व्यथा / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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− | किस ऋतु का फूल | + | किस ऋतु का फूल सूँघूँ |
− | किस हवा में | + | किस हवा में साँस लूँ |
− | किस डाली का सेब | + | किस डाली का सेब खाऊँ |
− | किस सोते का जल | + | किस सोते का जल पियूँ |
− | पर्यावरण वैज्ञानिकों! कि बच | + | पर्यावरण वैज्ञानिकों! कि बच जाऊँ |
− | किस नगर में रहने | + | किस नगर में रहने जाऊँ |
− | कि अकाल न मारा | + | कि अकाल न मारा जाऊँ |
− | किस कोख से जनम | + | किस कोख से जनम लूँ |
− | कि हिन्दू न मुस्लिम | + | कि हिन्दू न मुस्लिम कहलाऊँ |
− | समाज शास्ञियों! कि बच | + | समाज शास्ञियों! कि बच जाऊँ |
− | किस बात पर | + | किस बात पर हँसूँ |
− | किस बात पर | + | किस बात पर रोऊँ |
किस बात पर समर्थन | किस बात पर समर्थन | ||
− | किस पर विरोध | + | किस पर विरोध जताऊँ |
− | हे राजन! कि बच | + | हे राजन! कि बच जाऊँ |
गेंदे के नाजुक पौधे-सा | गेंदे के नाजुक पौधे-सा | ||
− | कब तक प्राण | + | कब तक प्राण बचाऊँ |
− | किस मिट्टी में | + | किस मिट्टी में उगूँ |
− | कि नागफनी बन | + | कि नागफनी बन जाऊँ |
− | प्यारे दोस्तों! कि बच | + | प्यारे दोस्तों! कि बच जाऊँ |
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19:21, 1 मई 2010 के समय का अवतरण
किस ऋतु का फूल सूँघूँ
किस हवा में साँस लूँ
किस डाली का सेब खाऊँ
किस सोते का जल पियूँ
पर्यावरण वैज्ञानिकों! कि बच जाऊँ
किस नगर में रहने जाऊँ
कि अकाल न मारा जाऊँ
किस कोख से जनम लूँ
कि हिन्दू न मुस्लिम कहलाऊँ
समाज शास्ञियों! कि बच जाऊँ
किस बात पर हँसूँ
किस बात पर रोऊँ
किस बात पर समर्थन
किस पर विरोध जताऊँ
हे राजन! कि बच जाऊँ
गेंदे के नाजुक पौधे-सा
कब तक प्राण बचाऊँ
किस मिट्टी में उगूँ
कि नागफनी बन जाऊँ
प्यारे दोस्तों! कि बच जाऊँ