भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दीपगीत / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=महादेवी वर्मा | |
− | + | |संग्रह=प्रथम आयाम / महादेवी वर्मा | |
− | + | }} | |
− | + | ||
माटी से धरती ने दीप यह बनाया है, | माटी से धरती ने दीप यह बनाया है, |
20:50, 17 नवम्बर 2007 का अवतरण
माटी से धरती ने दीप यह बनाया है,
तूल से बनाई फिर कोमल तन बाती है,
तुमसे पा स्नेह-बूँद चेतना का सम्बल भी,
दूतिका तुम्हारी बन ज्योति झिलमिलाती है,
सागर से तम की चुनौती स्वीकार कर,
दीपशिखा रात को हराकर मुस्काती है,
शौर्य देख इसका अब सूरज तुम्हारा भी,
सौंप नित्य जाता इसे ज्वाला की थाती है।
प्रथम आयाम नामक संकलन से