भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लफ़्ज़ की बुनियाद / तलअत इरफ़ानी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तलअत इरफ़ानी }} {{KKCatGhazal}} <poem> लफ्ज़ की बुनियाद चुप के …) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=तलअत इरफ़ानी | |रचनाकार=तलअत इरफ़ानी | ||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatNazm}} |
<poem> | <poem> | ||
22:58, 15 मई 2010 के समय का अवतरण
लफ्ज़ की बुनियाद
चुप के यह कैफियत
सिर्फ़ अल्फाज़, जैसे भी
जो भी, जहाँ से भी आयें, सुनें!
अपनी आँखों के नज़दीक लाकर
उन्हें, देख पायें
कहीं से ज़रा छू सकें ।
और तब हम से शायद ज़मानों-मकां के लिए
इक नया लफ्ज़ इजाद हो
जो की आइन्दा सोचों की बुनियाद हो,
और मुमकिन है यह भी हामी कोई
गुमशुदा याद हो।