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"ढालता रहता वह अविराम / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

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18:26, 24 मई 2010 के समय का अवतरण

ढालता रहता वह अविराम,
उमर पात्रों में मदिराधार,
सुनहले स्वप्नों का मधु फेन
हृदय में उठता बारंबार!
डूबते हम से तुम से, प्राण,
सहस्रों उसमें बिना विचार!
भरा रहता साक़ी का जाम,
बिगड़ते बनते शत संसार!