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"कितनी भूलें नाथ! गिनाऊँ!/ गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गुलाब खंडेलवाल
 
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कितनी भूलें नाथ! गिनाऊँ!
 
 
पाहन की नौका लेकर मैं सिन्धु लाँघने निकला
 
पावक की लपटों से लड़ने चला मोम का पुतला
 
इन्द्रधनुष की डोर धरे चाहा नभ पर उड़ जाऊँ
 
 
 
पारस कर में लिए कौड़ियों के हित दर-दर भटका
 
जल की बूँद-बूँद को तरसा पंछी गंगा-तट का
 
हरदम उलटे पाँवों चलकर चाहा तुझ तक आऊँ 
 
 
कितनी भूलें नाथ! गिनाऊँ!
 
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03:15, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण