Changes

<poem>
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तॆरी ज़ुल्फ कॆ सर हॊनॆ होने तक!
आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब‌
दिल का क्या रंग करूं खून‍-ए-जिगर हॊनॆ होने तक!
हमने माना कि तगाफुल ना करोगे लेकिन‌
ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits