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क्षण जीवी / सुमित्रानंदन पंत
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08:04, 4 जून 2010
रक्त के प्यासे!
भूत प्रेत
य
ये
मनो भूमि के
सदियों से पाले पोसे
अँधियाली लालसा गुहा में
ऊर्ध्व मनुज ये नहीं, अधोमुख,
उलटे जिनके
जीवना
जीवन
मान,
अंधकार खींचता इन्हें है
गाता रुधिर प्रलय के गान!
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