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"सदी / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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सदी
 
 
 
 
एक सदी जा रही है
 
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हमारी वीरता
 
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हमारे शौर्य
 
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और हमारी पराजय की गाथाएं लेकर
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एक सदी आ रही है
 
एक सदी आ रही है
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न ग्लानि है, न शर्म है
 
न ग्लानि है, न शर्म है
चहुं ओर पसरी है निराशा
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एक ठंडी शांति है
 
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किंकर्तव्यविमूढ़ता
 
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एक सदी जा रही है
 
एक सदी जा रही है
 
एक सदी आ रही है
 
एक सदी आ रही है
1999
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रचनाकाल : 1999
 
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11:54, 6 जून 2010 के समय का अवतरण

एक सदी जा रही है
हमारी वीरता
हमारे शौर्य
और हमारी पराजय की गाथाएँ लेकर

एक सदी आ रही है
अंधकार बढ़ रहा है
बर्बरता गा रही है
उठ रहे हैं यातना शिविर

न ग्लानि है, न शर्म है
चहुँ ओर पसरी है निराशा
एक ठंडी शांति है
किंकर्तव्यविमूढ़ता

और ऐसे में
एक सदी जा रही है
एक सदी आ रही है

रचनाकाल : 1999