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"घोड़ा / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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'''घोड़ा'''
 
 
 
सबको अच्छा लगता है
 
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जब तक घोड़ा दौड़ता है
 
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मरे हुए घोड़े का
 
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कोई फोटो नहीं खींचता
 
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उसकी बेजोड़ कुलांचों पर
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कोई किताब नहीं लिखता
 
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1987
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रचनाकाल : 1987
 
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11:35, 6 जून 2010 के समय का अवतरण

सबको अच्छा लगता है
जब तक घोड़ा दौड़ता है

घोड़े के मर जाने पर
कोई याद नहीं करता
घोड़े की कब्र पर
कोई मर्सिया नहीं पढ़ता

मरे हुए घोड़े का
कोई फोटो नहीं खींचता
उसकी बेजोड़ कुलाँचों पर
कोई किताब नहीं लिखता


रचनाकाल : 1987