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गंध-परिसर / मनोज श्रीवास्तव
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गंध परिसर
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
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यह जो गंध है
समय की तितली है
और पुराण-पात्रों में रस सहेजकर
ज्ञानेन्द्रियाँ तुष्ट करती है.
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Shrddha
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