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"अंतर्वाणी / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

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प्रीति प्राण में
 
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अमर हो बसी
 
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गीत मुग्ध हो जग के प्राणी
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गीत मुग्ध हों जग के प्राणी
 
निःस्वर वाणी!
 
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00:02, 9 जून 2010 के समय का अवतरण

निःस्वर वाणी
नीरव मर्म कहानी!
अंतर्वाणी!

नव जीवन सौन्दर्य में ढलो
सृजन व्यथा गांभीर्य में गलो
चिर अकलुष बन विहँसो हे
जीवन कल्याणी,
निःस्वर वाणी!

व्यथा व्यथा
रे जगत की प्रथा,
जीवन कथा
व्यथा!

व्यथा मथित हो
ज्ञान ग्रथित हो
सजल सफल चिर सबल बनो हे
उर की रानी
निःस्वर वाणी!

व्यथा हृदय में
अधर पर हँसी,
बादल में
शशि रेख हो लसी!

प्रीति प्राण में
अमर हो बसी
गीत मुग्ध हों जग के प्राणी
निःस्वर वाणी!