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"बाल पहेलियाँ-7 / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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खड़ा-खड़ा जो सेवा करता,
 
खड़ा-खड़ा जो सेवा करता,
 
सबका जीवनदाता ।
 
सबका जीवनदाता ।
बिन जिसके ना बादल आएँ,
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बिन जिसके बादल आएँ,
 
बोलो क्या कहलाता ?
 
बोलो क्या कहलाता ?
  
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ऊँचा-ऊँचा जो उड़े,
 
ऊँचा-ऊँचा जो उड़े,
ना बादल ना चील ।
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बादल चील ।
 
कभी डोर उसकी खिंचे,
 
कभी डोर उसकी खिंचे,
 
कभी पेच में ढील ।।
 
कभी पेच में ढील ।।

12:30, 15 जून 2010 के समय का अवतरण

1.

खड़ा-खड़ा जो सेवा करता,
सबका जीवनदाता ।
बिन जिसके न बादल आएँ,
बोलो क्या कहलाता ?

2.

ऊँचा-ऊँचा जो उड़े,
न बादल न चील ।
कभी डोर उसकी खिंचे,
कभी पेच में ढील ।।

3.

रंग-रंगीला रूप है जिसका,
फूलों पर मँडराती ।
पंख हिलाती प्यार बाँटती,
सबका मन बहलाती ।।

4.

सारा तन बालों से ढकता,
नाच तुम्हें दिखलाए ।
शहद मिले तो पेड़ों पर वह
उल्टा ही चढ़ जाए ।।

5.

दुपहिया पतली सी गाड़ी,
प्रदूषण से दूर है ।
तन को कसरत करवाती है,
इस पर हमें गरूर है ।।


उत्तर
1. पेड़
2. पतंग
3. तितली
4. भालू
5. साइकिल