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"जीवन-साथी से / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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हैरत करने वाले !
 
हैरत करने वाले !
 
शायद तूने मेरी हँसी को
 
शायद तूने मेरी हँसी को
छुकर
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छूकर
 
कभी नहीं देखा !
 
कभी नहीं देखा !
  
  
 
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13:20, 16 जून 2010 का अवतरण

धूप में बारिश होते देख के
हैरत करने वाले !
शायद तूने मेरी हँसी को
छूकर
कभी नहीं देखा !