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"बादडियो गगरिया भर दे / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर
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तू बैठ महल मे तरसे | तू बैठ महल मे तरसे | ||
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इस बार समन्दर अपना | इस बार समन्दर अपना | ||
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20:35, 22 जून 2010 का अवतरण
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बादड़ियो गगरिया भर दे बादड़ियो गगरिया भर दे प्यासे तन-मन-जीवन को इस बार तो तू तर कर दे बादड़ियो गगरिया भर दे
अंबर से अमृत बरसे तू बैठ महल मे तरसे प्यासा ही मर जाएगा बाहर तो आजा घर से इस बार समन्दर अपना बूँदों के हवाले कर दे बादड़ियो गगरिया भर दे
सबकी अरदास पता है
रब को सब खास पता है
जो पानी मे घुल जाए
बस उसको प्यास पता है
बूँदों की लड़ी बिखरा दे
आँगन मे उजाले कर दे
बादड़ियो गगरिया भर दे
बादड़ियो गगरिया भर दे
प्यासे तन-मन-जीवन को इस बार तू तर कर दे बादड़ियो गगरिया भर दे