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"काम नहीं चल सकता / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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लेकिन उसको कब समझोगे
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जो यथार्थ है
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लेकिन रुचिकर तुम्हे न लगता.
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यह दुनिया है
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यहाँ तुम्हारे अच्छा लगने से तो
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काम नहीं चल सकता.
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22:10, 25 जून 2010 के समय का अवतरण

जो तुमको अच्छा लगता है
तुमने वही समझना चाहा
चाहे वह अस्तित्वविहीन हो
लेकिन उसको कब समझोगे
जो यथार्थ है
लेकिन रुचिकर तुम्हे न लगता.

यह दुनिया है
यहाँ तुम्हारे अच्छा लगने से तो
काम नहीं चल सकता.