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"कैटवाक / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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पलछिन करती चिड़िया रानी
 
पलछिन करती चिड़िया रानी
  
क़ैद सभी को कर लेती यह
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पॉप धुनों पर गाती रहती
जलते हुए चिराग़
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हरदम दीपक राग
  
 
बिना परों के उड़ती-फिरती
 
बिना परों के उड़ती-फिरती
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कुछ द्विअर्थी संवादों के
 
कुछ द्विअर्थी संवादों के
 
अनजानी मस्ती में खोए
 
अनजानी मस्ती में खोए
आकर्षण झूठे वादों के  
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आकर्षण झूठे वादों के
  
 
पल भर में बरसाती पानी
 
पल भर में बरसाती पानी
 
पल भर में है आग
 
पल भर में है आग
 
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13:40, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण

जेठ-दुपहरी चिड़िया रानी
सुना रही है फाग

कैटवाक करती सड़कों पर
पढ़ी-पढ़ाई चिड़िया रानी
उघरी हुई देह से जादू
पलछिन करती चिड़िया रानी

पॉप धुनों पर गाती रहती
हरदम दीपक राग

बिना परों के उड़ती-फिरती
ताक रहे तारे ललचाए
हाथ जोड़कर कुआँ खड़ा है
पानी लेकर बदरा आए

जब चाहे तब सींचा करती
अपने मन का बाग

कितने उलझे दृश्य-कथा में
कुछ द्विअर्थी संवादों के
अनजानी मस्ती में खोए
आकर्षण झूठे वादों के

पल भर में बरसाती पानी
पल भर में है आग