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नया तरीका / नागार्जुन

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|संग्रह=हज़ार-हज़ार बाहों वाली / नागार्जुन
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दो हज़ार मन गेहूं आया दस गांवों के नाम
 
राधे चक्कर लगा काटने, सुबह हो गयी शाम
 
सौदा पटा बडी मुश्किल से, पिघले नेताराम
 
पूजा पाकर साध गये चुप्पी हाकिम-हुक्काम
 
भारत-सेवक जी को था अपनी सेवा से काम
 
खुला चोर-बाज़ार, बढा चोकर-चूनी का दाम
 
भीतर झुरा गयी ठठरी, बाहर झुलसी चाम
 
भूखी जनता की खातिर आज़ादी हुई हराम
 
नया तरीका अपनाया है राधे ने इस साल
 
बैलों वाले पोस्टर साटे, चमक उठी दीवाल
 
नीचे से लेकर ऊपर तक समझ गया सब हाल
 
सरकारी गल्ला चुपके से भेज रहा नेपाल
 
अन्दर टंगे पडे हैं गांधी-तिलक-जवाहरलाल
 
चिकना तन, चिकना पहनावा, चिकने-चिकने गाल
 
चिकनी किस्मत, चिकना पेशा, मार रहा है माल
 
नया तरीका अपनाया है राधे ने इस साल
 ''(१९५८ में लिखित'') </poem>
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