भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गुनह करेंगे / अशोक चक्रधर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=अशोक चक्रधर | |रचनाकार=अशोक चक्रधर | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
हम तो करेंगे | हम तो करेंगे | ||
− | |||
गुनह करेंगे | गुनह करेंगे | ||
− | |||
पुनह करेंगे। | पुनह करेंगे। | ||
− | |||
वजह नहीं | वजह नहीं | ||
− | |||
बेवजह करेंगे। | बेवजह करेंगे। | ||
− | |||
कल से ही लो | कल से ही लो | ||
− | |||
कलह करेंगे। | कलह करेंगे। | ||
− | |||
जज़्बातों को | जज़्बातों को | ||
− | |||
जिबह करेंगे | जिबह करेंगे | ||
− | |||
निर्लज्जों से | निर्लज्जों से | ||
− | |||
निबह करेंगे | निबह करेंगे | ||
− | |||
सुलगाने को | सुलगाने को | ||
− | |||
सुलह करेंगे। | सुलह करेंगे। | ||
− | |||
हम ज़ालिम क्यों | हम ज़ालिम क्यों | ||
− | |||
जिरह करेंगे | जिरह करेंगे | ||
संबंधों में | संबंधों में | ||
− | |||
गिरह करेंगे | गिरह करेंगे | ||
− | |||
रस विशेष में | रस विशेष में | ||
− | |||
विरह करेंगे | विरह करेंगे | ||
− | |||
जो हो, अपनी | जो हो, अपनी | ||
− | |||
तरह करेंगे | तरह करेंगे | ||
− | |||
रात में चूके | रात में चूके | ||
− | |||
सुबह करेंगे | सुबह करेंगे | ||
गुनह करेंगे | गुनह करेंगे | ||
− | |||
पुनह करेंगे | पुनह करेंगे | ||
+ | </poem> |
08:50, 28 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
हम तो करेंगे
गुनह करेंगे
पुनह करेंगे।
वजह नहीं
बेवजह करेंगे।
कल से ही लो
कलह करेंगे।
जज़्बातों को
जिबह करेंगे
निर्लज्जों से
निबह करेंगे
सुलगाने को
सुलह करेंगे।
हम ज़ालिम क्यों
जिरह करेंगे
संबंधों में
गिरह करेंगे
रस विशेष में
विरह करेंगे
जो हो, अपनी
तरह करेंगे
रात में चूके
सुबह करेंगे
गुनह करेंगे
पुनह करेंगे