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* [ मधु माँग ना मेरे मधुर मीत / नरेन्द्र शर्मा]]
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मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
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मैँने भी मधु के गीत रचे, मेरे मन की मधुशाला मेँ
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यदि होँ मेरे कुछ गीत बचे, तो उन गीतोँ के कारण ही,
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कुछ और निभा ले प्रीत ~ रीत !
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मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
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मधु कहाँ , यहाँ गँगा - जल है !
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प्रभु के चरणोँ मे रखने को ,
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जीवन का पका हुआ फल है !
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मन हार चुका मधुसदन को,
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मैँ भूल चुका मधु भरे गीत !
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मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
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वह गुपचुप प्रेम भरीँ बातेँ, (२)
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यह मुरझाया मन भूल चुका
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वन कुँजोँ की गुँजित रातेँ (२)
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मधु कलषोँ के छलकाने की
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हो गयी , मधुर बेला व्यतीत !
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मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
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रचना : [ स्व पँ. नरेन्द्र शर्मा ]

01:48, 6 मई 2008 का अवतरण

नरेन्द्र शर्मा की रचनाएँ

नरेन्द्र शर्मा
Narendra sharma.jpg
जन्म 1913
निधन
उपनाम
जन्म स्थान जहाँगीरपुर, जिला खुर्जा, उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
शूल -फूल (१९३४), कर्ण फूल (१९३६), प्रभात फेरी (१९३८), प्रवासी के गीत (१९३९), कामिनी (१९४३), मिट्टी और फूल (१९४३), पलाशवन (१९४३), हँस माला (१९४६), सर्तचँदन (१९४९), अग्निशस्य (१९५०), कदलीवन (१९५३), द्रौपदी (१९६०), प्यासा निर्झर (१९६४), उत्तर जय (१९६५), बहुत रात गये (१९६७), सुवर्णा (१९७१), सुवीरा (१९७३), प्रमुख पत्रिकाएँ सरस्वती १९३२ व चाँद १९३३ मेँ प्राँरभिक रचनाएँ व स्फुट कविताएँ व समीक्षा इत्यादी छपती रही
विविध
पंडित नरेन्द शर्मा ने हिन्दी फ़िल्मों के लिये बहुत से गीत लिखे। उनके 17 कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक जीवनी और अनेक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
जीवन परिचय
नरेन्द्र शर्मा / परिचय
कविता कोश पता
www.kavitakosh.org/{{{shorturl}}}





मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )

मैँने भी मधु के गीत रचे, मेरे मन की मधुशाला मेँ

यदि होँ मेरे कुछ गीत बचे, तो उन गीतोँ के कारण ही,

कुछ और निभा ले प्रीत ~ रीत !

मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )

मधु कहाँ , यहाँ गँगा - जल है !

प्रभु के चरणोँ मे रखने को ,

जीवन का पका हुआ फल है !

मन हार चुका मधुसदन को,

मैँ भूल चुका मधु भरे गीत !

मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )

वह गुपचुप प्रेम भरीँ बातेँ, (२)

यह मुरझाया मन भूल चुका

वन कुँजोँ की गुँजित रातेँ (२)

मधु कलषोँ के छलकाने की

हो गयी , मधुर बेला व्यतीत !

मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )

रचना : [ स्व पँ. नरेन्द्र शर्मा ]