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<poem>
नीरा! तुम लो दोपहर की स्वच्छता
लो रात की दूरियांदूरियाँ
तुम लो चन्दन-समीर
लो नदी किनारे की कुंआरी कुँआरी मिट्टी की िस्नग्ध स्निग्ध सरलता
हथेलियों पर नींबू के पत्तों की गंध
नीरा, तुम घुमाओ अपना चेहरा
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