{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= शास्त्री नित्यगोपाल कटारे |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<Poem> भारत की भूमि न्यारी स्वर्ग से भी ज्यादा प्यारी देवता भी जन्म लेना चाहें मेरे देश में।में । पर्वतों का राजा यहाँ नदियों की रानी यहाँ धरती का स्वर्ग काश्मीर मेरे देश में।।में ।। शिवाजी प्रताप चन्द्रशेखर भगतसिंह लक्ष्मीबाई जैसी नई पीढ़ी मेरे देश में।में । भारत महान था ये आज भी महान है एक सिर्फ व्यवस्था की कमी मेरे देश में।। 2 दुनियाँ की पहली किताब अपने पास में है अमृतवाणी देवभाषा संस्कृत अपने पास है। पातञ्जल ध्यान योग गीता ज्ञान कर्मयोग षटरस छप्पन भोग भी अपने पास है। आयुर्वेद धनुर्वेद नाट्यवेद अस्त्र शस्त्र यन्त्र तन्त्र मन्त्र का भी लम्बा इतिहास है पढ़े लिखे ज्ञानी सब बैठे हैं अँधेरों में और लालटेनें सभी निरे लल्लुओं के पास हैं।। 3 बढ़े अपराध दिन दूने रात चौगुने हैं लगी है पुलिस सब चोरों की सुरक्षा में राष्ट्रनिर्माता ज्ञाता वोटरलिस्ट बनाता नई पीढ़ी मक्खी मारे बैठी बैठी कक्षा में। न्यायविद सरेआम बेच रहे संविधान गुण्डे अपराधियों की खड़े प्रतिरक्षा में भारत की भोली भाली जनता है आस्तिक बैठी किसी नये अवतार की प्रतीक्षा मे।।
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दुनियाँ की पहली किताब अपने पास में हैअमृतवाणी देवभाषा संस्कृत अपने पास है ।पातञ्जल ध्यान योग गीता ज्ञान कर्मयोगषटरस छप्पन भोग भी अपने पास है ।आयुर्वेद धनुर्वेद नाट्यवेद अस्त्र शस्त्रयन्त्र तन्त्र मन्त्र का भी लम्बा इतिहास हैपढ़े लिखे ज्ञानी सब बैठे हैं अँधेरों में औरलालटेनें सभी निरे लल्लुओं के पास हैं ।। '''3बढ़े अपराध दिन दूने रात चौगुने हैं लगी है पुलिस सब चोरों की सुरक्षा मेंराष्ट्रनिर्माता ज्ञाता वोटरलिस्ट बनातानई पीढ़ी मक्खी मारे बैठी बैठी कक्षा में ।न्यायविद सरेआम बेच रहे संविधानगुण्डे अपराधियों की खड़े प्रतिरक्षा मेंभारत की भोली भाली जनता है आस्तिकबैठी किसी नये अवतार की प्रतीक्षा में ।। '''4 खेत जिसके पास में है सर्विस की तलाश में है सर्विस वाले घूमते दूकान की तलाश में।में । ग्राहक को ठगने की ताक में दूकानदार ग्राहक भी उधार लेके खाने के प्रयास में।में । बड़े पेट वाले बीमार हैं अधिक खा के श्रमिक बेचारे खाली पेट उपवास में।में । डाकू चोर किन्नर आसीन राजगद्दियों पे चन्द्रगुप्त चाणक्य गये वनवास में।।में ।। ५'''5 सींकचों के पीछे खड़े जिन्हें होना चाहिये था ओढ़के मुखौटा आज बैठे हैं सदन में।में । गाँधी जी की जय जयकार करके करें भ्रष्टाचार जयन्ती मनायें एयरकंडीशन भवन में।में । सत्य का तो अता नहीं त्याग का भी पता नहीं मन में वचन में न दिखे आचरण में।में । बुद्ध फिरें मारे मारे बुद्धू सारे मजा मारें प्रबुद्ध युवा बेचारे पड़े उलझन में।।में ।।</poem>