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"संस्कृत हाइकु / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे" के अवतरणों में अंतर
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− | + | अरुचिपूर्ण | |
− | + | देखने में सुंदर | |
− | + | स्वरुचि भोज। | |
− | + | '''५''' | |
− | + | पति को रोज़ | |
− | + | व्रत कराती वह | |
+ | पतिव्रता है। | ||
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00:37, 20 जुलाई 2010 का अवतरण
१
अपमानित
सर्वदा क: देवता?
पति देवता।
२
पत्नी समक्षे
अहर्निशं पतति
कथ्यत् पति:।
३
ददाति सदा
आचरेण रोटिका:
सदाचारिणी।
४
अरुचिपूर्ण:
केवल सुदर्शन:
स्वरुचि भोज:।
५
या निज पति
व्रत कारयति-सा
पतिव्रतास्ति।
संस्कृत से हिंदी में अनुवाद स्वयं कवि के द्वारा
१
अपमानित
सदा कौन देवता?
पति देवता।
२
पत्नी सामने
बार-बार पतित
होता है पति।
३
खिलाती सदा
अचार से रोटियाँ
सदाचारिणी।
४
अरुचिपूर्ण
देखने में सुंदर
स्वरुचि भोज।
५
पति को रोज़
व्रत कराती वह
पतिव्रता है।