भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हत्भाग्य / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) छो (हत्भाग्य / साँवर दइया का नाम बदलकर हत्भाग्य / सांवर दइया कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:53, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
गूंगा गुड़ के गीत गा रहा है
बहरा सराह रहा है
सजी सभा में
पंगुल पाँव सहला कर बोला -
मैं नाचूँगा ।
अँधा आगे आया
कड़क कर बोला -
तुमने ठेका ले रक्खा है
मुझे भी तो देखने दो !
कलाकार !
लो, सँभालो तुम्हारी क़लम !
अनुवाद : मोहन आलोक