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"प्रेम-बीज / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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पनपकर पौध बनने,
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पौध से कामुक वृक्ष बनने
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और आसमान भेदकर
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--हवाओं का शील-भंग करने में
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बस, पलक के एक बार
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झपकने तक का ही समय लगता है.

12:09, 20 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


प्रेम-बीज

प्रेम-बीज के
अंकुरित होकर
पनपकर पौध बनने,
पौध से कामुक वृक्ष बनने
और आसमान भेदकर
--हवाओं का शील-भंग करने में
बस, पलक के एक बार
झपकने तक का ही समय लगता है.