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"दोस्त / इदरीस मौहम्मद तैयब" के अवतरणों में अंतर

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उसकी गरदन के तिल से
 
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लेकिन मैं कभी भी
 
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भावविभोर होकर उसे सलाम नहीं ठोंकता ।
 
भावविभोर होकर उसे सलाम नहीं ठोंकता ।

11:34, 21 जुलाई 2010 का अवतरण

उसकी गरदन के तिल से
मेरा याराना हो गया है
मैं कभी-कभी उसका अभिवादन करता हूँ
लेकिन मैं कभी भी
भावविभोर होकर उसे सलाम नहीं ठोंकता ।

रचनाकाल : 14 मार्च 2002