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"नदी : कामधेनु / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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बॉंध कर नदी को
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मनुष्‍य दुह रहा है
 
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अब वह कामधेनु है।
 
अब वह कामधेनु है।

01:20, 13 मई 2007 का अवतरण

रचनाकार: त्रिलोचन शास्त्री

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नदी ने कहा था : मुझे बाँधो

मनुष्‍य ने सुना और

तैरकर धारा को पार किया।

नदी ने कहाँ था : मुझे बाँधो

मनुष्‍य सुना और

सपरिवार धारा को

नाव से पार किया।

नदी ने कहॉं था : मुझे बाँधो

मनुष्‍य ने सुना और

आखिर उसे बाँधो लिया

बाँधो कर नदी को

मनुष्‍य दुह रहा है

अब वह कामधेनु है।