भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुंडेर पर पतझड़ / अशोक लव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अशोक लव
 
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान
+
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान / अशोक लव
}}  
+
}}
 +
{{KKCatKavita‎}}  
 
<poem>
 
<poem>
 
 
एकाकीपन के मध्य  
 
एकाकीपन के मध्य  
 
स्मृतियों के खुले आकाश पर
 
स्मृतियों के खुले आकाश पर

13:00, 4 अगस्त 2010 का अवतरण

एकाकीपन के मध्य
स्मृतियों के खुले आकाश पर
विचरण कर रहे हैं
उदासियों के पक्षी

कहाँ-कहाँ से उड़ते चले आ रहे हैं
बैठते चले जा रहे हैं
मन मुंडेर पर!
भीग गया है अंतस का कोना-कोना

क्यों आ जाता है
वसंत के तुंरत बाद
पतझड़ ?
क्यों नहीं भाती उदासियों को
खुशियों की
नन्ही चमकीली बूँदें ?