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{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान/ अशोक लव}}{{KKCatKavita‎}}
<poem>
नशा है राजनीती राजनीति वेशिया वेश्या के साथ सोने जैसा
एक के बाद दूसरी
दूसरी के बाद तीसरी
जानते हैं
वेशियाओं वेश्याओं के साथ सोने से हो सकते हैं
जानलेवा रोग
फिर भी स्खलित होने के आनंद में सोते हैं
सैंकड़ों-हजारों हज़ारों के संग सो चुकी वेश्या के साथ
कामी पुरुष
कानकी काम की चिंता
न अपमान की चिंता
न दैहिक रोग से ग्रसित हो
कुछ नहीं सूझता पुरुष को
राजनीति भी खूब ख़ूब नशीली होती है
राजनीति के नशे में दीखता है
सत्तानंद
एक बार सत्ता का सुख लग जाता है
तो मृत्युपर्यत मृत्युपर्यंत लगा रहता हैवेशियागमन वेश्यागमन के सामान
राजनीती खूब नाचती राजनीति ख़ूब नचाती है
कुर्सी दिखा-दिखाकर कराती है
घोरतम अपराध
हत्याएंहत्याएँ,बलात्कार,भ्रष्टाचार,असत्य संभाषण ,
पहनवाती हैं पाखंडी चोला
जन-जन को बरगलाने के मंत्र फूंकती फूँकती है
अमर्यादित आचरण को मर्यादित सिद्ध करना चाहती है
कामी पुरुष जाता है वेशियाओं वेश्याओं के पास
देह सुख और आनंद के लिए
और देहिक रोगों से ग्रसित हो सड़-सड़कर मर जाता है
राजनीती राजनीति भी कराती है समस्त अमर्यादित आचरण
सत्ता कि गलियारों में खूब घुमाती है,दीवाना बनाती है
हँसते-हँसते भोगते हैं कारावास सत्ता के लोभी
और प्रसन्न होते हैं
दिखने, न दिखने वाले रोगों से ग्रस्त करके
सत्ता-सुख लोभियों को को चूस डालती है राजनीतीराजनीति
और मार देती है
वेशियागामियों वेश्यागामियों के नाम कोई स्मरण नहीं रखता परिवारों परिवार में भी कोई नाम नहीं लेना चाहता उनकाराजनीती राजनीति भी जिन्हें नचाती है
उन्हें भी कोई याद नहीं रखता
</poem>
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