"रही अछूती / हरीश भादानी" के अवतरणों में अंतर
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मन के कुशल कुम्हार की | मन के कुशल कुम्हार की | ||
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साधों की रसमस माटी | साधों की रसमस माटी | ||
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क्वांरा रूप उभार दिया | क्वांरा रूप उभार दिया | ||
सतरंगी सपने आँककर | सतरंगी सपने आँककर | ||
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हाट सजाई | हाट सजाई | ||
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मन के कुशल कुम्हार की | मन के कुशल कुम्हार की | ||
रही अछूती.... | रही अछूती.... | ||
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अलसाई ऊषा छूदे | अलसाई ऊषा छूदे | ||
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मन के कुशल कुम्हार की | मन के कुशल कुम्हार की | ||
रही अछूती.... | रही अछूती.... | ||
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हठी चितेरा प्यासा ही | हठी चितेरा प्यासा ही | ||
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भरी उमर की बाजी पर | भरी उमर की बाजी पर | ||
विश्वास लगे हैं दाँव में | विश्वास लगे हैं दाँव में | ||
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हार इसी आँगन | हार इसी आँगन | ||
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सभी मटकियाँ | सभी मटकियाँ | ||
मन के कुशल कुम्हार की | मन के कुशल कुम्हार की | ||
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01:24, 7 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
रही अछूती
सभी मटकियाँ
मन के कुशल कुम्हार की
रही अछूती....
साधों की रसमस माटी
फेरी साँसों के चाक पर,
क्वांरा रूप उभार दिया
सतरंगी सपने आँककर
हाट सजाई
आहट सुनने
कंगनिया झन्कार की
रही अछूती
सभी मटकियाँ
मन के कुशल कुम्हार की
रही अछूती....
अलसाई ऊषा छूदे
मुस्का मूंगाये छोर से,
मेहँदी के संकेत लिखे
संध्या पाँखुरिया पोर से
चौराहे रख दी
बंधने को
बाँहों में पनिहार की
रही अछूती
सभी मटकियाँ
मन के कुशल कुम्हार की
रही अछूती....
हठी चितेरा प्यासा ही
बैठा है धुन के गाँव में,
भरी उमर की बाजी पर
विश्वास लगे हैं दाँव में
हार इसी आँगन
पंचोली
साधे राग मल्हार की
रही अछूती
सभी मटकियाँ
मन के कुशल कुम्हार की
रही अछूती...