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"पक्के गायक / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप ।
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साज़ मिले पंद्रह मिनट. घंटाभर आलाप ॥
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घंटाभर आलाप, राग में मारा गोता ।
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तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप।
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घंटाभर आलाप, राग में मारा गोता ।
 
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता ॥
 
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता ॥
 
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कहें 'काका', सम्मेलन में सन्नाटा छाया।
कहें 'काका', सम्मेलन में सन्नाटा छाया।
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श्रोताओं में केवल हमको बैठा पाया ॥
 
श्रोताओं में केवल हमको बैठा पाया ॥
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कलाकार जी ने कहा, होकर भाव-विभोर।
कलाकार जी ने कहा, होकर भाव-विभोर ।
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काका ! तुम संगीत के प्रेमी हो घनघोर॥
 
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प्रेमी हो घनघोर, न हमने सत्य छिपाया।
काका ! तुम संगीत के प्रेमी हो घनघोर ॥
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अपने बैठे रहने का कारण बतलाया॥
 
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'कृपा करें' श्रीमान ! मंच का छोड़ें पीछा।
प्रेमी हो घनघोर, न हमने सत्य छिपाया।
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तो हम घर ले जाएं अपने फर्श-गलीचा॥
 
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अपने बैठे रहने का कारण बतलाया ॥
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'कृपा करें' श्रीमान ! मंच का छोड़ें पीछा ।
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तो हम घर ले जाएं अपने फर्श-गलीचा ॥
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12:23, 18 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप।
साज़ मिले पंद्रह मिनट. घंटाभर आलाप॥
घंटाभर आलाप, राग में मारा गोता ।
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता ॥
कहें 'काका', सम्मेलन में सन्नाटा छाया।
श्रोताओं में केवल हमको बैठा पाया ॥
कलाकार जी ने कहा, होकर भाव-विभोर।
काका ! तुम संगीत के प्रेमी हो घनघोर॥
प्रेमी हो घनघोर, न हमने सत्य छिपाया।
अपने बैठे रहने का कारण बतलाया॥
'कृपा करें' श्रीमान ! मंच का छोड़ें पीछा।
तो हम घर ले जाएं अपने फर्श-गलीचा॥