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"खटमल-मच्छर-युद्ध / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून ।
 
'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून ।
 
 
नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून ॥
 
नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून ॥
 
 
मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली ।
 
मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली ।
 
 
हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली ॥
 
हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली ॥
 
 
किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको ।
 
किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको ।
 
 
नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको ॥
 
नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको ॥
  
 
 
हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर ।
 
हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर ।
 
 
ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर  ॥
 
ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर  ॥
 
 
नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई  ।
 
नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई  ।
 
 
घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान गुसाईं ॥
 
घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान गुसाईं ॥
 
 
पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - |
 
पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - |
 
 
त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥
 
त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥
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22:46, 16 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून ।
नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून ॥
मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली ।
हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली ॥
किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको ।
नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको ॥

हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर ।
ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर ॥
नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई ।
घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान गुसाईं ॥
पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - |
त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥