भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक लहर फैली अनन्त की / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=त्रिलोचन | |रचनाकार=त्रिलोचन | ||
+ | |संग्रह=ताप के ताये हुए दिन / त्रिलोचन | ||
}} | }} | ||
− | |||
सीधी है भाषा बसन्त की | सीधी है भाषा बसन्त की | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 28: | ||
एक लहर फैली अनन्त की । | एक लहर फैली अनन्त की । | ||
− | |||
− | |||
− |
03:04, 12 दिसम्बर 2007 का अवतरण
सीधी है भाषा बसन्त की
कभी आंख ने समझी
कभी कान ने पायी
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आयी
और है कहानी दिगन्त की
नीले आकाश में
नयी ज्योति छा गयी
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गयी
एक लहर फैली अनन्त की ।