भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पूजा-गीत / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो ("पूजा-गीत / सोहनलाल द्विवेदी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | |रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | ||
− | |संग्रह=गान्ध्ययन / सोहनलाल द्विवेदी | + | |संग्रह=गान्ध्ययन / सोहनलाल द्विवेदी; सेवाग्राम / सोहनलाल द्विवेदी |
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} |
21:22, 14 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
वंदना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो।
राग में जब मत्त झूलो
तो कभी माँ को न भूलो,
अर्चना के रत्नकण में एक कण मेरा मिला लो।
जब हृदय का तार बोले,
शृंखला के बंद खोले;
हों जहाँ बलि शीश अगणित, एक शिर मेरा मिला लो।