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+ | वली दक्कनी को उर्दू गजल का बाबा आदम माना जाता है। इसके पहले भारत में गजल फारसी में लिखी जाती थी – फारसी कवियों की उपमाओं और प्रतीकों के साथ, जिनका भारतीय वातावरण से मेल नहीं था। वली ने न केवल उर्दू में गजल कहना शुरू किया, बल्कि उसका देशीकरण भी किया। सौंदर्य चित्रण और इश्क-मजाजी के तो वे मास्टर थे। उर्दू का पहला दीवान उन्हीं का मिलता है। उनके सहज, ऐंद्रिक और संगीतमय शेरों ने उर्दू कविता का वातावरण ही बदल दिया, जिससे जौक, सौदा और मीर जैसे महान शायर निकले। |
16:26, 1 मार्च 2013 के समय का अवतरण
वली दक्कनी को उर्दू गजल का बाबा आदम माना जाता है। इसके पहले भारत में गजल फारसी में लिखी जाती थी – फारसी कवियों की उपमाओं और प्रतीकों के साथ, जिनका भारतीय वातावरण से मेल नहीं था। वली ने न केवल उर्दू में गजल कहना शुरू किया, बल्कि उसका देशीकरण भी किया। सौंदर्य चित्रण और इश्क-मजाजी के तो वे मास्टर थे। उर्दू का पहला दीवान उन्हीं का मिलता है। उनके सहज, ऐंद्रिक और संगीतमय शेरों ने उर्दू कविता का वातावरण ही बदल दिया, जिससे जौक, सौदा और मीर जैसे महान शायर निकले।