भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भिक्षुक / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" Category:कविताएँ [[Category:सूर्यकां...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" | |
− | + | }} | |
− | + | ||
− | + | ||
वह आता--<br> | वह आता--<br> |
22:18, 24 जून 2009 का अवतरण
वह आता--
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को-- भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता--
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये,
बायें से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाये।
भूख से सूख ओठ जब जाते
दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?--
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!