भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कविता / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>कविता न तो लिखीजै अर न बांचीजै । कविता इन्नै-उन्नै खिंडियोड़ी अ…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | < | + | {{KKGlobal}} |
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | [[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <Poem> | ||
+ | कविता | ||
न तो लिखीजै | न तो लिखीजै | ||
अर | अर |
01:57, 24 अक्टूबर 2010 का अवतरण
कविता
न तो लिखीजै
अर
न बांचीजै ।
कविता
इन्नै-उन्नै
खिंडियोड़ी
अबखायां रै अंगारां नै
आपरै अंतस मांय भेळ
बुझावण री
एक क्रिया है
इण मांय
बळण री संभावना जादा है
बचण सूं ।
इणी क्रिया नै
उथळ’र
आपरै मांय
मै’सूस करण रो नाम
कविता रो
बांचिजणो ।
इसै समै
कविता बांचणो
अनै लिखणो
किणी जुद्ध सूं स्यात ई कम हुवै
कुण है जिकै मांय इण जुद्ध नै
जीतणै रो दम हुवै ।