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"साख भरै सबद / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>दरद रै सागर मांय
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दरद रै सागर मांय
 
म्हैं डूबूं-तिरूं
 
म्हैं डूबूं-तिरूं
 
कोई नीं झालै-
 
कोई नीं झालै-

01:45, 24 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण

दरद रै सागर मांय
म्हैं डूबूं-तिरूं
कोई नीं झालै-
महारो हाथ ।

म्हैं नीं चावूं
म्हारी पीड़ रा
बखाण
पूगै थां तांई
कै उण तांई ।

पण नीं है कारी
म्हारै दरद री
साख भरै-
म्हारो सबद-सबद ।