भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँचा:KKEkMoti" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
<td align=center valign=top style="background-color:#ffffff;">
 
<td align=center valign=top style="background-color:#ffffff;">
 
<font size=2><b>
 
<font size=2><b>
हो गई है पीर पर्वत—सी पिघलनी चाहिए<br>
+
मैं अकेला ही चला था ज़ानिबे मंज़िल मगर<br>
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए<br><br>
+
लोग मिलते गए और कारवाँ बनता गया<br><br>
 
</b></font>
 
</b></font>
कविता कोश में [[दुष्यंत कुमार]]
+
कविता कोश में [[मजरूह सुल्तानपुरी]]
 
</td></tr></table>
 
</td></tr></table>

22:03, 5 सितम्बर 2008 का अवतरण

 एक काव्य मोती
Pearl.jpg

मैं अकेला ही चला था ज़ानिबे मंज़िल मगर
लोग मिलते गए और कारवाँ बनता गया

कविता कोश में मजरूह सुल्तानपुरी