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− | + | मैं अकेला ही चला था ज़ानिबे मंज़िल मगर<br> | |
− | + | लोग मिलते गए और कारवाँ बनता गया<br><br> | |
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− | कविता कोश में [[ | + | कविता कोश में [[मजरूह सुल्तानपुरी]] |
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22:03, 5 सितम्बर 2008 का अवतरण
एक काव्य मोती | |
मैं अकेला ही चला था ज़ानिबे मंज़िल मगर |