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"तन की हवस / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर

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तन की हवस मन को गुनाहगार बना देती है
 
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बाग के बाग़ को बीमार  बना  देती    है
 
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भूखे  पेटों  को  देशभक्ति  सिखाने  वालो
 
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भूख  इन्सान को  गद्दार  बना  देती  है  
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01:06, 8 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

तन की हवस मन को गुनाहगार बना देती है
बाग के बाग़ को बीमार बना देती है
भूखे पेटों को देशभक्ति सिखाने वालो
भूख इन्सान को गद्दार बना देती है